
जाने बाबू वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव की पूरी कहानी ….
बीआरएन बक्सर। बाबू साहब’ और ‘तेगवा बहादुर ‘ जैसे आदरसूचक नामों से प्रसिद्ध आरा के जगदीशपुर रियासत के राजा बाबू कुंवर सिंह भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अविस्मरणीय योद्धा है। वीर कुंवर सिंह को 1857 की क्रांति का महानायक कहा जाता है।उन्होने जगदीशपुर में अंग्रेजों का झंडा हटाकर अपना झंडा लहराया था। वह 1857 के युद्ध में अंग्रेजों को चने चबवा दिए थे। वह 80 साल की उम्र में भी अपनी वीरता को कायम रखा और अंग्रेजों से अपनी लड़ाई जारी रखी।उनका जन्म 1777 ई. में बिहार के जगदीशपुर में हुआ था। कुंवर सिंह के पिता साहबजादा सिंह थे जिनको राजा भोज का वंशज कहा जाता है। हरे कृष्णा और अमर सिंह कुंवर सिंह के दो भाई थे। 1826 में पिता की मौत के बाद कुंवर सिंह जगदीशपुर के तालुकदार बने थे। बताया जाता है कि, साल 1857 में आजादी की पहली लड़ाई के दौरान उन्होंने बिहार में अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे। साल 1848 से लेकर 1849 के दौरान जब अंग्रेजों ने विलय नीति अपनाई थी जो कुंवर सिंह को पसंद नहीं आयी और उनके खिलाफ वो खड़े हो गए। उन्होंने रामगढ़ के सिपाहियों और बंगाल के बैरकपुर के साथ मिलकर अंग्रेजों पर हमला बोला और अपने साहस, कुशल सैन्य नेतृत्व से वे अंग्रेजों को घुटनों पर ले आए। वीर कुंवर सिंह ने आरा, जगदीशपुर समेत आजामगढ़ को आजाद कराया।
खुद की बांह काटकर की थी गंगा मैया को समर्पित
1985 में वीर कुंवर सिंह ने जगदीशपुर में अंग्रेजों का झंडा हटाकर अपना झंडा लहराया था। बताया जाता है कि बलिया के पास शिवपुरी में वो अपनी सेना के साथ गंगा नदी पार कर थे कि अंग्रेजों ने उनको घेरकर गोलीबारी शुरु कर दी। कहा जाता है कि इस दौरान उनके हाथ मे गोली लग गई थी। गोली का जहर उनके शरीर में फैलना शुरु कर दिया था। कुंवर सिंह नहीं चाहते थे कि वह जिंदा या मुर्दा हालत में अंग्रेजों के हाथ लगे अतः वह तलवार से अपनी बांह काटकर गंगा मां को भेट कर दिये।
23 अप्रैल को मनाया जाता है विजयोत्सव
23 अप्रैल 1858 को कुंवर सिंह अंग्रेजों से लड़कर अपने महल पहुंचे थे। इस दौरान उन्हें काफी चोटें आयी थी। उनका घाव इतना गहरा था कि उन्हें बचाया नहीं जा सका और 26 अप्रैल 1858 को उनकी मौत हो गई। 23 अप्रैल को पूरे बिहार में कुंवर सिंह विजयोत्सव दिवस मनाया जाता है।
वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव मनाया जायेगा आज धूमधाम से
विजयोत्सव कार्यक्रम आयोजन समिति के श्री रामकुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि शाम चार बजे से वीर कुंवर सिंह की प्रतिमा के समक्ष 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के सभी योद्धाओं के को नमन करते हुए 168 दीप प्रज्ज्वलित किया जायेगा। इसके बाद वीर कुंवर सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी जायेगी।