धान का बिचड़ा के लिए रोहिणी नक्षत्र है शुभ ….नहरें हैं सूखी …विवश हैं किसान…..
पंपिंग सेट(पंप सेट) चलाकर खेतों मे पानी करने को किसान मजबूर ..
बीआरएन बक्सर। सूर्य 25 मई को रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश कर चुका है। इसके साथ ही खरीफ सीजन की तैयारी में जुटे किसानों ने धान की खेती करने के लिए नर्सरी तैयार करने की कवायद शुरू कर दी हैं । कहा जाता है कि रोहिणी नक्षत्र में धान का बीज खेतों में डालना शुभ होता है। साथ ही पौधों में रोग की संभावना भी बहुत कम रहती है। अच्छी पैदावार के लिहाज से किसान रोहिणी नक्षत्र में धान का बिचड़ा डालने का काम करते हैं। इस नक्षत्र में लगाए गए धान के बीज से अधिक उत्पादन की संभावना रहती है।
सूर्य रोहिणी नक्षत्र में रहते है 15 दिनों तक
पंडित अनिल दुबे कहते है कि सूर्य 15 दिनों तक रोहिणी नक्षत्र में रहते हैं। इस साल सूर्य ने बुधवार 25 मई को सुबह 8 बजकर 16 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश किया है, जो आठ जून सुबह छह बजकर 40 मिनट तक रोहिणी नक्षत्र में रहेंगे। यह अवधि धान के बीजों के छिड़काव के लिए सबसे उपयुक्त माना जाती है। इसके बाद धान की रोपाई शुरू हो जाती है।
लोकसभा चुनाव मे लगे है अधिकारी , नहरों की मरम्मत व सफाई पर नही है ध्यान
सामान्यतः खेती का समय शुरू होने के पहले सरकारी विभाग द्वारा नहरों की साफ-सफाई और मरम्मती की जाती है। लेकिन लगता है कि इस वर्ष लोकसभा चुनाव मे अधिकारियों व कर्मियों की व्यस्तता के चलते कृषि प्रधान देश मे नहरों की सफाई व मरम्मत अभी तक नहीं की गई है। रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ है । किसानों को धान की नर्सरी तैयार करने के लिए पानी की आवश्यकता है, लेकिन हाल यह कि नहरें अभी सूखी हैं। इस वर्ष नहरों की मरम्मत व सफाई नही होने से किसानों में काफी नाराजगी है। राजपुर प्रखंड के मोहनपुर गाँव के किसान राकेश रंजन पाठक और आई मास कंप्यूटर के निदेशक व किसान डब्लू पाठक ने बताया कि बक्सर मोहनपुर नहर लाइन सूखा पडा है। किसान पानी को लेकर परेशान है। नहरों की मरम्मत व सफाई पर किसी का ध्यान नही है । ऐसे मे किसान पंपिंग सेट का सहारा लेकर धान का नर्सरी तैयार करने के लिए खेतों मे पानी भर रहे है। जलस्तर नीचे हो जाने से पंपिंग सेट से पानी भरना किसानों के लिए उबाऊ और खर्चीला हो गया है। चिलचिलाती धूप मे किसान जैसे ही खेतों मे पानी भरते है अगले पल गायब हो जाता है । ऐसी स्थिति मे महंगे डीजल का खर्च बढ गया है।
रोहिणी नक्षत्रीय खगोलीय घटना का खेती से बेहद ही है गहरा संबंध
सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश के शुरुआती नौ दिनों को देश में कई जगह नौतपा भी कहा जाता है। माना जाता है कि इन 9 दिनों मे सूर्य की रोशनी सीधे धरती पर पड़ती है। इस वजह से ये सबसे गर्म दिन माने जाते हैं। कृषि वैज्ञानिक भी इस गर्मी को धान के बीजों के लिए बेहतर मानते हैं। कृषि वैज्ञानिक भी मानते हैं कि इस दौरान सूर्य की रोशनी तेजी से सीधे धरती पर पड़ती है, जिससे बीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। वहीं तेज धूप से मिट्टी भी रोगमुक्त होती है। ऐसे में इस समय खेत को तैयार करने से उसके अंदर तक धूप जाती है। हालांकि इस दौरान कृषि वैज्ञानिक खेतों में पर्याप्त नमी रखने की भी सलाह देते हैं।
क्या कहते हैं बक्सर जिला के किसान
मोहनपुर निवासी राकेश रंजन पाठक , नागेन्द्र पाठक, कमलेश पाठक, योगेंद्र खरवार , वीरेंद्र खरवार ,दुर्गेश पाठक,शिवशंकर पाठक,चंदन पाठक,रासबिहारी राम,दिवाकर खरवार, हरिओम पाठक और अरविन्द पाठक ने बताया कि इस साल रोहणी नक्षत्र में धरती खूब तपेगी । यह मानसून के दृष्टिकोण से शुभ संकेत है। इस बार अच्छी पैदावार होने की उम्मीद है । किसान व शिक्षक डब्लू पाठक कहते है कि रोहिणी में बीज डालने से पौधें पुष्ट होते है । रोहणी नक्षत्र में धान का बीज डालने से धान का पौधा तेजी से विकास करता है । वहीं राकेश रंजन पाठक और दुर्गेश पाठक ने बताया कि धान का बीज डालने के लिए अपने खेतों में पानी भर कर मिट्टी में नमी आने के बाद खेतों की जोताई कर के धान का बिचड़ा डाला गया है। धान का बीज छिड़क रहे योगेंद्र खरवार और उनके भाई वीरेंद्र खरवार ने बताया कि रोहिणी का बीज काफी अच्छा और पुष्ट होता है और धान की पैदावार भी अधिक होती है । डुमरांव अनुमंडल अंतर्गत लहना गांव के किसान मनोज दूबे कहते है कि भारत का पेट भरने वाले किसानों की समस्या कोई सुनने वाला नही है । जब पानी की जरूरत है तो नहरें सूखी हुई हैं। अधिकारियों पर अभी चुनावी प्रेशर है। उन्हें रोहिणी नक्षत्र से क्या मतलब है।