
बकरीद की नमाज अदा कर मुस्लिम भाईयों ने खुदा से अमन, चैन और खुशहाली की मांगी दुआ ..
राजेश कुमार चौबे (बक्सर ) । ईद उल अजहा (बकरीद) के अवसर पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने नये नये कपडों को पहनकर नमाज अदा की और खुदा से अमन, चैन और खुशहाली की दुआ मांगी। शासन की गाइड लाइन के अनुरूप नमाज अदा की गई। शहर में नमाज के बाद कुछ देर के लिए जाम की स्थिति उत्पन्न हो गयी थी, लेकिन बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनात की गयी थी जो यातायात व्यवस्था को दुरुस्त बनाए रखने के लिए लगे रहे। त्याग और बलिदान का पर्व ईद उल अजहा (बकरीद) सोमवार को जिले में धूमधाम से मनाया गया । निर्धारित समय पर बडी मस्जिद और अन्य ईदगाहों मे बकरीद की नमाज अदा की गई। सुरक्षा व्यवस्था की चाक चौबंद व्यवस्था रही।
एक दूसरे से गले मिलकर ईद उल अजहा की दी बधाई
अहले सुबह से ही मुस्लिम समुदाय के लोग बकरीद की तैयारियों मे लगे रहे। वे ईदगाहों और मस्जिदों में पहुंचकर तय समय पर अपनी नमाज अदा की। इसके बाद वे एक दूसरे से गले लगकर ईद उल अजहा की बधाई दिये। इस दौरान बच्चें , युवा और बुजुर्ग सभी उत्साहित दिखे। वहीं, शहर के अतिरिक्त मुस्लिम अबादी वाले ग्रामीण क्षेत्रों में भी सुरक्षा व्यवस्था का पुख्ता इंतजाम रहा । एसीपी, डीएसपी , समेत तमाम थानाध्यक्षों की गाडियां सडकों पर भ्रमण करती रही। सोहनी पट्टी स्थित मस्जिद और बडी मस्जिद मे इस्लामिक माह जिलहिज्जा की 10वीं अर्थात ईद-ए- कुरबां पर विशेष नमाज अदा की गई। अकीदत और ऐहतेराम के साथ पर्व मनाने के लिए हर तरह के इंतजाम किए गए थे। वही समर्थवान मुस्लिम परिवारों मे हज़रत इब्राहीम की सुन्नत पर अमल करते हुए बकरों की कुर्बानी दी गई।
अना हसद गुस्सा तकब्बुर गुमराही को क़ुरबान कर बने अच्छे और सच्चे मोमिन
सोहनी पट्टी मस्जिद के मौलवी गुलाम हसनैन ने बकरीद पर्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हजरत इब्राहिम को तीन मर्तबा ख्वाब में अल्लाह ने अपने बेटे को राहें खुदा में क़ुरबान करने का हुक्म दिया तो उस ख्वाब को उन्होंने अपनी बीवी और बेटे हज़रत इस्माइल को बताया। बीवी और बेटे की रजामंदी के बाद हजरत इब्राहिम मेना की पहाड़ी पर बेटे को राहें खुदा में क़ुरबान करने को ले कर गए।रास्ते में तीन शख्स ने अलग अलग तरीकों से उन्हें इस काम से रोकने की कोशिश की, लेकिन दोनों ने उनको नकारते हुए यही कहा कि तुम शैतान हो। आज काबे में हज के बाद उन्हीं तीन शैतानों पर हाजी कंकड़ी मारते हैं। जब तक इस रस्म की अदायगी नहीं होती तब तक हज मुकम्मल नहीं होता। हजरत इब्राहिम ने जब खुदा के हुक्म से बेटे इस्माइल के गर्दन पर छूरी फेरनी चाही तो अल्लाह की तरफ से गैब से उस जगहा पर दुम्बा ज़िबहा पाया।आंख की पट्टी खोली तो देखा दुम्बा क़ुरबान हो चुका था। बेटे हजरत इस्माइल बग़ल में सही सलामत खड़े मुस्कुरा रहे हैं। इसी सुन्नत को अमल में लाते हुए दुनिया भर में मुसलमान आज के दिन दुम्बों व बकरों की क़ुरबानी देते हैं। इस तहरीक से लोगों को चाहिए कि आज से अहद ले कि सिर्फ जानवर ही नहीं अना हसद गुस्सा तकब्बुर गुमराही को भी क़ुरबान कर अच्छे और सच्चे मोमिन बन जाएं, ताकि अल्लाह हमारी क़ुरबानी को क़ुबूल करें।इस पर्व को ईद उल-अधा , ईद उल जुहा, बकरा ईद अथवा ईद उल बकरा के नाम से जाना जाता है।