
श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ हुआ संपन्न ….. भंडारे मे प्रसाद ग्रहण किये हजारों श्रद्धालु..

बीआरएन बक्सर। शहर के रामरेखाघाट स्थित श्री रामेश्वर नाथ मंदिर परिसर में चल रहे सर्वजन कल्याण सेवा समिति के 16 वें धर्मायोजन का समापन रविवार को हो गया। इससे पहले श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ की पूर्णाहुति की गई और श्रीराम कथा को विश्राम दिया गया। इसके बाद भंडारे में प्रसाद वितरण के साथ नौ दिवसीय धर्मायोजन संपन्न किया गया।

अंतिम दिन श्रीराम कथा में आचार्य श्रीकृष्णानंद जी पौराणिक ने कहा कि रामराज सपना है या सत्य… यह एक विचारणीय प्रश्न है। क्या मौजूदा परिवेश में रामराज की स्थापना कर सकेंगे? क्योंकि रामराज की स्थापना सर्वप्रथम विचार की भूमि पर होती है। जब विचार में राम राज्य सिद्ध हो जाए तब आचरण में राम राज्य का क्रियान्वयन संभव होता है. जब आचरण राम राज्य से परिनिष्ठ हो जाए तब प्रवचन में रामराज होना चाहिए. इसके बाद ही जन सामान्य में राम राज्य की परिकल्पना साकार होगी, अन्यथा रामराज स्वप्न मात्र ही रहेगी. कथा को विस्तार देते हुए आचार्य श्री ने कहा कि वर्तमान समय में रावण का मन हृदय रावण की सोच एवं रावण का आचरण करने वाले कपट पारायण लोग राम जैसा प्रवचन करके रामराज्य की स्थापना करने की बात कह रहे हैं. जो सर्वथा हास्यास्पद ही नहीं असंभव भी है. जिस मानव के जीवन में धन, धर्म द्वारा नियंत्रित है तथा काम, मोक्ष द्वारा वशीकरण है वही मानव आत्मा अर्थ को धर्म से, काम को मोक्ष से स्ववश करके अंत में रामराज्य की स्थापना कर सकेगा. रामराज्य के झूठे प्रलाप पर प्रहार करते हुए पौराणिक जी ने कहा कि इस घोर कलियुग में मानव समाज की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि वह धन ,पद एवं प्रतिष्ठा का गुलाम मात्र है. परिणामत: धर्महीन जीवन असीम कामनाओं के आवर्त में मोक्षीन विचार के कारण नाना प्रकार के दुखों एवं शोकों से संतप्त होकर बार-बार जन्म मरण के भयंकर भट्ठी में तपता एवं जलता रहता है। ऐसे में जब तक मानव छल, कपट, प्रपंच ,काम ,क्रोध ,लोभ, मोह, अहंकार और ईर्ष्य से हीन होकर निर्मलता पूर्वक धर्म का आचरण एवं सत्य का सानिध्य प्राप्त नहीं करेगा तब तक अर्थ व काम दोनों विशुद्ध नहीं होंगे तथा जब तक अर्थ एवं काम शुद्ध नहीं होंगे तब तक रामराज की परिकल्पना जाग्रत स्वप्न मात्र एवं मोक्ष असंभव है। इसलिए यदि संसार को राम राज्य चाहिए तो मानव समाज को श्री राम के आदर्शों पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। कथा से पूर्व प्रातः काल 6:00 से 9:00 बजे तक यज्ञ मंडप में 33 कोटि देवी देवताओं के पूजन एवं हवन आदि के साथ पूर्णाहुति प्रदान की गई और समिति के सदस्य एवं यजमानों द्वारा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी धर्मायोजन को विश्व कल्याण के लिए समर्पित किया गया। तत्पश्चात संत महात्मा विद्वान समाज का बहुमlन एवं प्रसाद ग्रहण संपन्न हुआ।