♦इस खबर को आगे शेयर जरूर करें ♦

अमेरिका में पाकिस्तान की फजीहत, कश्मीर मसले पर विश्व समुदाय ने किया प्रधानमंत्री इमरान से किनारा

विश्व समुदाय कित है कि बलूचों सिंधियों शियाओं पख्तूनों समेत अल्पसंख्यकों का दमन करने वाला पाकिस्तान कश्मीरियों की चिंता में क्यों दुबला हुआ जा रहा है?

आखिरकार पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को इस सच का सामना करना ही पड़ा कि उन्हें कश्मीर मसले पर दुनिया का समर्थन हासिल नहीं हो सका। वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रति अपनी नाखुशी तो जाहिर कर रहे हैं, लेकिन यह समझने से इन्कार कर रहे हैं कि इसके लिए वही जिम्मेदार हैं। पाकिस्तान की समस्या केवल यही नहीं कि उसने यह मुगालता पाल लिया कि कश्मीर उसका हिस्सा बनकर रहेगा, बल्कि यह भी है कि उसने अपने लोगों को भी यह घुट्टी पिला दी कि वह छल-बल से इस भारतीय भू-भाग को हासिल करके रहेगा।

अगर वह अपना भला चाहता है कि यह मुगालता छोड़े कि वह कश्मीर को हासिल कर सकता है या फिर आतंक के बल पर भारत को डरा-धमका सकता है। उसे यह समझ आए तो बेहतर कि वह गैर जिम्मेदार देश की तरह व्यवहार कर रहा है और अपनी पस्त अर्थव्यवस्था के कारण विफल राष्ट्र की ओर बढ़ रहा है। अपनी इस हालत के लिए वह किसी अन्य को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकता।

आखिर यह वही था जिसने दुनिया भर के आतंकी संगठनों को अपने यहां खुशी-खुशी पनाह दी और आतंकवाद को नीतिगत तौर पर अपनाया। एक सच्चाई यह भी है कि उसने आतंकवाद से लड़ने के नाम पर दुनिया की आंखों में धूल झोंकी। वह यह काम अभी भी कर रहा है और इसी कारण उसकी धरती से भारत में आतंकियों की घुसपैठ थम नहीं रही।

आखिर पाकिस्तान ने यह कैसे समझ लिया कि भारत जिस हिस्से को अपना अटूट अंग बताता है वहां से संबंधित नियम-कानूनों में परिवर्तन नहीं कर सकता? क्या अनुच्छेद 370 पाकिस्तान से पूछकर तैयार किया गया था? यदि नहीं तो फिर उसके हटाए जाने पर उसने आसमान सिर पर क्यों उठाया? अच्छा हो कि पाकिस्तान सरकार और साथ ही वहां का समाज इस पर चिंतन-मनन करे कि आखिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद एवं उसकी मानवाधिकार परिषद में उसे अहमियत क्यों नहीं मिली? नि:संदेह इसलिए नहीं कि दुनिया बदल गई है, बल्कि इसलिए कि दुनिया उसके कश्मीर राग से आजिज आ चुकी है और उसे यह समझ नहीं आ रहा कि पाकिस्तान कश्मीर को लेकर इतना परेशान क्यों है?

विश्व समुदाय इसे लेकर भी चकित है कि बलूचों, सिंधियों, शियाओं, पख्तूनों समेत अल्पसंख्यकों का दमन करने वाला पाकिस्तान कश्मीरियों की चिंता में क्यों दुबला हुआ जा रहा है? समझना कठिन है कि इमरान खान किस मुंह से यह उम्मीद कर रहे हैं कि दुनिया उनकी ओर ध्यान दे? उन्हें पता होना चाहिए कि उन्होंने यह स्वीकार कर अपनी फजीहत ही कराई है कि उनकी सेना अल-कायदा और ऐसे ही अन्य आतंकी संगठनों को प्रशिक्षण देने का काम किया करती थी।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे
Donate Now

जवाब जरूर दे 

Sorry, there are no polls available at the moment.

Related Articles

Close
Close
Website Design By Mytesta.com +91 8809666000