
अहिल्या माता के दर्शन-पूजन के साथ पांच दिवसीय पंचकोसी परिक्रमा की शुरुआत
मंदिर मे दीप प्रज्वलित करने के पश्चात प्रसाद के रूप मे पुआ और पूडी खाने की है लोकपरंपरा
बी आर एन व्यूरो
बक्सर।
लिट्टी चोखा वाले मेला से मशहूर स्थानीय पंच दिवसीय पंचकोसी परिक्रमा की शुरुआत शनिवार को अहिरौली मे अहिल्या माता के दर्शन-पूजन के साथ हो गई । शनिवार की सुबह मे रामरेखाघाट पर स्नान करने के पश्चात साधु-संतों का जत्था अहिरौली के लिए प्रस्थान किया , जहां पंचकोसी मेला का पहला पडाव है। वहां पहुंचकर श्रद्धालुओं ने माता अहिल्या की पूजा-अर्चना कर दीप जलाने की परंपरा का निर्वहन किया। लोकपरंपरा के अनुसार श्रद्धालुओं ने प्रसाद के रूप मे पुआ और पूडी बनाकर ग्रहण किया । वे सभी रात्रि में अहिरौली मे ही विश्राम करेंगे। अब इनका अगला पडाव नदांव है । पंचकोसी परिक्रमा के पहले पड़ाव पर दूर-दराज से काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे।अहिल्या माता मंदिर के आसपास अनेकों अस्थायी दुकानें सजी थी जहां लोग विभिन्न सामानों की खरीदारी करते नजर आये ।
साधु-संतों ने पंचकोसी परिक्रमा के पौराणिक महात्म्य और अध्यात्मिक लाभों का वर्णन करते हुए बताया कि पंचकोसी परिक्रमा पुरा करने वाला मोक्ष को प्राप्त करता है। त्रेतायुग मे मर्यादापुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र अहिरौली मे ही महर्षि गौतम पत्नी अहिल्या जो श्रापवश पत्थर की बन चुकी थी, उसे मोक्ष प्रदान किये थे ।
मेले में विधि व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन की ओर से पर्याप्त पुलिस बलों के साथ दंडाधिकारी को तैनात किया गया था ।
अहिरौली पीठाधीश्वर स्वामी श्री वेंकटाचारी जी महाराज की कुछ दिन पहले ही मृत्यु हो जाने के कारण स्थानीय गांव के लोग शोकाकुल है, जिससे मेला पर थोडा बहुत प्रभाव देखने को मिला । फिर भी दूर दराज इलाकों से पहुंचे श्रद्धालुओं ने वर्षों से चली आ रही लोक परंपरा के अनुसार मंदिर मे दीप प्रज्वलित कर मां अहिल्या की पूजा अर्चना कर मोक्ष प्राप्ति की कामना की ।