
बक्सर के जिगना के रहने वाले है आनंद मिश्रा…
बीआरएन बक्सर। पुलिस की सेवा छोड़कर बक्सर से लोकसभा चुनाव लडने जा रहे पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा ने एक पत्र जारी करते हुए बताया कि वह बक्सर के इटाढ़ी प्रखंड के जिगना के निवासी है। उक्त पत्र मे उन्होने कहा है कि वह बक्सर का ही एक आम निवासी है। ये राह चलते जो भीड़ दिखती है ना, उसमे से ही कोई एक समझ लीजिए। आज कल हमारे बक्सर में खूब चर्चा है कि कौन बाहरी है और कौन भीतरी। लोग अपनी जानकारी, सोच, समझ और कारणों से इसका उत्तर भी कर रहे हैं।जहां तक बात आनन्द मिश्रा जी की है, वो मूलतः जिगना इटाढी के हैं। कुछ दशक पूर्व उनका परिवार पड़सोंडा गाँव, शाहपुर में जा बसा, जो हमेशा से बक्सर क्षेत्र में ही था। 2008 के परिसीमन के बाद उसे बक्सर से अलग किया गया। क्यों किया गया ये वो जाने जिन्होंने किया। खैर, पर शायद आप यह नहीं जानते होंगे कि मिश्रा जी का स्थायी मकान बक्सर स्टेशन के पास ही है। मिश्रा जी बक्सर के निवासी ही नहीं, बक्सर के वोटर भी हैं। पर बात केवल बाहरी और भीतरी की नहीं है। बात है सक्षमता, दक्षता, चरित्र और व्यक्तित्व की। जिस व्यक्ति ने अपना राज-पाट, अपनी शोहरत, अपना ऐशो-आराम, सब कुछ न्योछावर कर दिया ताकि वो अपने लोग, अपनी मिट्टी, अपने शहर की सेवा कर सके, उस आनन्द मिश्रा को आंकने का तराज़ू है क्या हम लोगो के पास ? खुद सोचिए, जिला का एसएसपी, प्रतिष्ठित आईपीएस की नौकरी और एक लम्बा सुनहरा करियर छोड़ के आया कि हमारे बीच रहकर हमारी सेवा कर सके। और हम हैं कि निष्ठा ना देख के तर्क-वितर्क में लगे हैं। वो भी अपने लिए नहीं, किसी और के राजनीतिक कूटनीति के लिए। विकास की दौड़ में बक्सर भी सबके साथ ही दौड़ा था, पर आज हम सबसे पीछे रह गये। क्यों? क्योंकि जो दौड़ सकते थे, वो बैसाखियों बनाने में लग गये। ये आप और हम ही हैं जिन्होंने, अलग अलग कारणों से, कभी इस तर्क पे कभी उस तर्क पे। कभी इसके नाम पे कभी उसके नाम पे। सामाजिक यत्र तत्र सर्वत्र, फलना-चिलकाना कारणों से अपने शहर का गार्जियन उनको बनाया जिनको हम अपने बच्चों का गार्जियन कभी नहीं बनाते।बीतीं बातों को दोहरा के ना आपको सुख मिलेगा ना मुझे। जो बीत गयी सो बात गयी। पर मौक़ा बार बार नहीं आता। अभी नहीं तो फिर शायद कभी नहीं। आनन्द मिश्रा जी ने तो अपना फ़ैसला ले लिया है। बारी अब हमारी है।हार हो जाती है जब मान लिया जाता है। जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है।
उक्त पत्र के जरिए पूर्व आईपीएस अधिकारी ने अपने को बक्सर संसदीय क्षेत्र का निवासी बताते हुए बाहरी और भीतरी के सवाल पर विराम लगाने का प्रयास किया है।