
वैराग्य से ज्ञान की होती है प्राप्ति- आचार्य श्री रणधीर ओझा
राजेश कुमार चौबे (बक्सर बिहार) । अख़ोरीपुर गोला चौसा स्थित हनुमान मंदिर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पहले दिन मामा जी के कृपापात्र आचार्य श्री रणधीर ओझा ने कहा कि मानव शरीर की प्राप्ति भगवान की आतिश्य कृपा से हुई है । यह भक्ति , विरक्ति और भागवतप्रबोध की प्राप्ति के लिए है । वैदिक सनातन धर्म के पालन से विरक्ति अर्थात वैराग्य का उदय होता है । वैराग्य से ज्ञान की प्राप्ति होती है उन्होंने कहा कि धर्म के पालन से ही लोक और परलोक में सुख होता है । दृढ़ता पूर्वक धर्म पालन से ही पूर्व और भावी पीढ़ियों का उद्धार होता है । पुण्य ही किसी के उत्कर्ष का कारण होते हैं न कि कोई अन्य व्यक्ति । पुण्यों के परिणाम से ही जीवन में विकास का मार्ग देने वाले व्यक्ति भी मिलते हैं और वैकुण्ठ प्रदान करने वाले महापुरुषों की संगति भी । अनेक जन्मों के समरजीत पुण्यों से भागवत सत्संग की प्राप्ति होती है । आचार्य श्री ने कहा कि गोवंश, विप्र ,वेद ,सती ,देवियां सत्यवादी, निरोग और दानशील यह सातों पृथ्वी के धारक तथा यज्ञों के संपादक हैं । इनके विकृत या विलुप्त होने पर ना तो धर्म बचेगा नहीं पृथ्वी । उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत सभी वेदों, पुराणों और धर्म शास्त्रों का सारहृदय और भगवान श्री कृष्ण की अनुग्रह मूर्ति है ।
आचार्य श्री ने कहा कि परमाराध्याचरण गोपंगनाएं भगवान श्री कृष्ण से कहती हैं कि जो महापुरुष आप की कथा सुनाते हैं वह ब्रह्मांड के सबसे बड़े दानी हैं और जीवन मंत्र को सर्वस्व प्रदान कर क्रीडा करने वाले हैं भुवि गृणनती ते भुरिदा जनाः ।उन्होंने कहा कि घोर कलिकाल में भी महापुरुषों के हृदय में विकार उत्पन्न नहीं होते। संकादि आचार्य ने भक्ति ज्ञान और वैराग्य को महापुरुषों संतों के हृदय में रहने की आज्ञा दी है । भागवत कथा से भक्ति ,ज्ञान और वैराग्य पुष्ट होते हैं, प्रेतत्व की निवृत्ति होती है और भगवान के धाम की प्राप्ति होती है ।