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छठ व्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्पित किया अर्घ्य…

नगरपरिषद सहित जिलाप्रशासन रहा मुस्तैद

बीआरएन बक्सर । छठ व्रतियों ने गुरुवार की शाम मे अस्ताचलगामी सूर्य यानी डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। बता दे कि लोक आस्था का महापर्व छठ हर साल कार्तिक महीने मे शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथी को मनाया जाता है।चार दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत मंगलवार को ही नहाय-खाय के साथ हो गयी थी। बुधवार को खरना का प्रसाद ग्रहण किया गया था। वहीं शुक्रवार की सुबह मे उदित हो रहे हुए सूर्य को अर्घ्‍य अर्पित करने के साथ ही छठ महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान पूर्ण होगा।

गुरुवार को अस्ताचल गामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए बक्सर के सभी गंगा घाटों को दुल्हन की तरह सजाया दिया गया था। छठ व्रतियों ने सूप व दउरा में प्रसाद रखकर पानी में प्रवेश करके भगवान दिनकर को अर्घ्य अर्पित किया । गंगा घाटों के अलावे कई लोगों ने अपने घर पर या छत पर ही अस्थायी जलाशयों का निर्माण कर छठ पूजा भक्तिपूर्वक हर्षोल्लास से किया ।

 

भगवान आदित्य की उपासना का महापर्व छठ के पावन मौके पर नगरपरिषद ने छठ घाटों और वहां जाने वाले मार्गों का सौंदर्यीकरण किया था। जिला प्रशासन के द्वारा सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गये थे। नगर परिषद ने भव्य द्वार, कट आउट, पेंटिंग्स एवं साइन बोर्ड लगाकर नगर की खूबसूरती मे चार चाँद लगा दिया था । गंगा घाटों पर जाने और आने के लिए अलग-अलग रास्तों को बनाया गया था । माॅडल थाना के पास नगरपरिषद द्वारा बनाया गया द्वार और विभिन्न देवताओं की पेंटिंग्स छठ घाटों पर जाने वाले लोगों के बीच आकर्षण का केन्द्र बना रहा। लोगों का कहना था कि छठ के अवसर पर सौन्दर्यीकरण का प्रयास नगरपरिषद के द्वारा पहली बार किया गया है , जो सराहनीय है । जिला प्रशासन की टीम भी हर चौक चौराहों के साथ साथ घाटों पर मुस्तैद रही । एनडीआरएफ की टीम भी मुस्तैदी के साथ गंगा नदी में गश्त लगाती देखी गयी ।

नगर परिषद और रेडक्रास के सहायता केंद्र तत्पर रहे । जिला पदाधिकारी अंशुल अग्रवाल, आरक्षी अधीक्षक शुभम आर्य, अनुमंडल पदाधिकारी धीरेंद्र मिश्र, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी धीरज कुमार, रेडक्रास के सचिव श्रवण तिवारी, जदयू के संजय सिंह राजनेता एवम जनप्रतिनिधि और समाज सेवी आदि स्टीमर से लगातार व्यवस्थाओं का जायजा लेते रहे ।


इस दौरान निजी नौका परिचालन पूरी तरह से प्रतिबंधित था।
छठ करने के लिए शहरी व्रतियों के साथ साथ ग्रामीण इलाके से भी लोगों की भीड रही । छठी मैया के पारंपरिक लोकगीत से पूरा वातावरण गुंजायमान हो रहा था ।पंडित अनिल दुबे ने बताया कि इस पर्व में भगवान आदित्य की आराधना कर अर्घ्य अर्पित करने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है ।जिसके घर छठ पूजा नही होती है वे प्रसाद मांगकर ग्रहण करते है। छठ बिहार की सांस्कृतिक पहचान है ।

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