श्रद्धा और संकल्प दृढ़ हो तो कठिनाई लक्ष्य से विचलित नहीं कर सकती- आचार्य रणधीर ओझा
सती, ध्रुव और कपिल चरित्र हैं भारतीय संस्कृति के प्रेरणास्रोत
बीआरएन बक्सर । सती ने अपने पति भगवान शिव के प्रति अडिग श्रद्धा और प्यार के लिए अपने प्राणों की बलि दे दी। यह चरित्र नारी शक्ति और सम्मान का प्रतीक है। उक्त बाते राजपुर प्रखंड के भरखरा ग्राम में सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन मामाजी के कृपापात्र कथावाचक आचार्य रणधीर ओझा ने सती, ध्रुव और कपिल चरित्र पर प्रेरणादायक प्रवचन करते हुए कही । उन्होने इन तीन महान पौराणिक चरित्रों के माध्यम से जीवन के मूल्य, भक्ति और ज्ञान का गहन विश्लेषण किया।सती के त्याग और श्रद्धा की कहानी पर प्रकाश डालते हुए आचार्य जी ने बताया कि सती का जीवन हमें आत्मसम्मान, निष्ठा और भक्ति का संदेश देता है, जो हमें अपने रिश्तों और विश्वासों के प्रति प्रतिबद्ध रहने की प्रेरणा देता है।
ध्रुव की भक्ति और तपस्या पर विस्तार से बात करते हुए उन्होने कहा कि ध्रुव ने भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की। उनका जीवन यह सिखाता है कि अगर श्रद्धा और संकल्प दृढ़ हो, तो कोई भी कठिनाई मनुष्य को अपने लक्ष्य से विचलित नहीं कर सकती। ध्रुव की तरह हमें भी अपने उद्देश्य के प्रति समर्पित रहनी चाहिए, तभी हमे जीवन में सफलता प्राप्त हो सकती है। कपिल मुनि के जीवन और उनके अद्भुत दर्शन के विषय पर उन्होने कहा कि कपिल मुनि ने संसार के मूल तत्वों को समझाने के लिए सांख्य दर्शन की नींव रखी। उन्होंने बताया कि संसार के दुखों से मुक्ति के लिए आत्म-ज्ञान और भक्ति सबसे प्रभावी रास्ते हैं। कपिल मुनि का जीवन हमें यह सिखाता है कि हमें भौतिक दुनिया से अज्ञात ज्ञान की ओर अग्रसर होना चाहिए, तभी हम आत्म-साक्षात्कार कर सकते हैं।
आचार्य रणधीर ओझा ने आगे कहा कि हम हर परिस्थिति में आस्था, निष्ठा और ज्ञान का पालन करते हुए अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं। इन चरित्रों से हमें न केवल धार्मिक शिक्षा मिलती है, बल्कि जीवन के उच्चतम आदर्शों को समझने का भी अवसर मिलता है। सोमवार की कथा मे अनेकों श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही ।