
बिहार के बक्सर, भागलपुर, पटना सहित कई जिलों से सैकड़ों लोकतंत्र सेनानियों ने जन संकल्प सभा में लिया भाग
संविधान दिवस पर लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए ऐतिहासिक जनसभा
बीआरएन दिल्ली/ बक्सर । संविधान दिवस के अवसर पर अखिल भारतीय संपूर्ण क्रांति संगठन के मुख्य संरक्षक और पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे के मार्गदर्शन में जेपी सेनानी संघ, लोकतंत्र सेनानी संघ के संयुक्त तत्वावधान में जंतर मंतर पर एक ऐतिहासिक “जन संकल्प सभा” का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सत्यनारायण जटिया(संरक्षक, लोकतंत्र सेनानी संघ), श्री कैलाश सोनी, पूर्व सांसद एवं अध्यक्ष, लोकतंत्र सेनानी संघ ए और महा मंत्री सह राज्यसभा सांसद श्री राजेंद्र कुमार गहलोत, श्री दर्शन चौधरी, सांसद लोकसभाएवं पूर्व विधायक दुर्गा प्रसाद सिंह (बिहार), लोक प्रहरी कुलकर्णी एवं दिनकर न्यास के अध्यक्ष नीरज कुमार सहित कई प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों ने सभा को संबोधित किया।
श्री अश्विनी कुमार चौबे ने आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय बताते हुए इसे “संविधान की हत्या” करार दिया। उन्होंने सरकार से मांग की कि आपातकाल के दौरान हुई घटनाओं पर एक श्वेत पत्र जारी किया जाए, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि संविधान की हत्या के लिए जिम्मेदार कौन था। “आपातकाल: संविधान का हत्यारा कौन?” इस विषय पर एक विशेष जांच आयोग गठित किया जाए। साथ ही, जस्टिस शाह आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए। डॉ. राजेंद्र प्रसाद और डॉ. भीमराव अंबेडकर के मार्गदर्शन में तैयार किए गए मूल संविधान, जिसमें भगवान श्रीराम, भगवान कृष्ण, और छत्रपति शिवाजी महाराज आदि सनातन संस्कृति से संबंधित चित्र शामिल थे, उसकी प्रतियां प्रकाशित कर देश के सभी विश्वविद्यालयों और सरकारी लाइब्रेरियों में रखवाई जाएं।
उन्होने कहा कि देशभर में लोकतंत्र सेनानियों को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान पत्र प्रदान किया जाए आपातकाल और जेपी आंदोलन की ऐतिहासिक गाथा को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए नई पीढ़ी को जागरूक करना आवश्यक है। डॉ. सत्यनारायण जटिया ने अपने सम्बोधन में सभी लोकतन्त्र सेनानियों के लिए सम्मान निधि (पेंशन) योजना लागू की जाए। वर्तमान में यह योजना 12 राज्यों में लागू है,उड़ीसा में जल्द ही लागू लेकिन इसे पूरे देश में लागू करने की आवश्यकता है।लाखों लोकतंत्र सेनानी अपने परिवारों के साथ गरीबी और अभाव में जीने को मजबूर हुए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि 1975 में जेपी आंदोलन के सेनानियों ने संघर्ष न किया होता, तो आज देश में लोकतंत्र नहीं, बल्कि एक तानाशाही शासन होता। उन्होंने उत्तर कोरिया जैसे तानाशाही शासन का उदाहरण देते हुए कहा कि कांग्रेस की तानाशाही नीतियों ने देश को उस राह पर धकेलने की कोशिश की थी। उनका यह कुचक्र आज भी आज भी जारी है।
इस अवसर पर श्री कैलाश सोनी ने कहा कि आपातकाल के दौरान 1.5 लाख से अधिक निर्दोष नागरिकों को जेल में बंद कर अमानवीय यातनाएं दी गईं।श्री चौबे जी इसके साक्षात प्रमाण हैं। जेल मे यह समाचार प्रचारित हो गया कि यातना से इनके प्राण पखेरू उड़ गए। पत्रकारों, छात्रों, और सामाजिक कार्यकर्ताओं को सजा दी गई। परंतु जहां-जहां कांग्रेस की सरकार बनती है, वहां लोकतंत्र सेनानियों को मिलने वाली सम्मान निधि को बंद कर दिया जाता है। यह कांग्रेस की अलोकतांत्रिक और तानाशाही मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने आपातकाल के दौरान जो गिरावट दिखाई, उससे भी नीचे वह आज गिर चुकी है।
यह श्री गोविंद कुलकर्णी ने कहा कि यह आयोजन संविधान और लोकतंत्र की हत्या के लिए जिम्मेदार कांग्रेस के विरुद्ध था। इसका मुख्य उद्देश्य नई पीढ़ी को यह बताना था कि जिस लोकतंत्र में वे आजादी से सांस ले रहे हैं, उसका गला 1975 में घोंट दिया गया था। सभा में यह भी मांग की गई कि संविधान की रक्षा और लोकतंत्र की मजबूती के लिए हर संभव प्रयास किए जाएं। साथ ही, लोकतंत्र सेनानियों के योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दी जाए।
इस ऐतिहासिक सभा श्री नीरज ने सभी नेताओं और लोकतंत्र सेनानियों ने संविधान की गरिमा को बनाए रखने और दिनकर जी की समर शेष है नहीं पाप का भागी केवल ब्याध, जो तटस्थ हैं ,समय लिखेगा उनका भी अपराध कविता पढ़कर लोकतंत्र को सशक्त बनाने के लिए सामूहिक प्रयास का आह्वान किया और सभा के अंत में ओपी बब्बर, राजन ढींगरा ,सुरेन्द्र शर्मा,आदि ने यह निर्णय लिया गया कि लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए देशभर में व्यापक जनजागरण अभियान चलाया जाएगा।