ब्रह्म विद्या का विज्ञान है श्रीरामचरितमानस : जगदगुरु गुप्तेश्वर जी
श्रीराम कथा के दूसरे दिन शिव-सती प्रसंग सुन भावुक हुए श्रद्धालु
बीआरएन बक्सर।
शहर के सती घाट स्थित लाल बाबा आश्रम परिसर में आयोजित श्रीराम कथा के दौरान श्रीमज्जगदगुरु रामानुजाचार्य आचार्य गुप्तेश्वर जी महाराज ने कहा कि श्रीरामचरितमानस परमानंद प्रदान करने वाला ब्रह्म विद्या का विज्ञान है. जिसकी अनुभूति सतोगुणी रसिक जन को होती है. इसके महत्व को रजोगुणी व तमोगुणी चेतना वाले जीव तबतक नहीं समझ सकते जबतक साधना व सत्संग से उनकी चेतना में उत्कर्ष न हो।
शनिवार को दूसरे दिन की कथा में याज्ञवल्क्य व भारद्वाज संवाद का उल्लेख करते हुए महाराज श्री ने कहा कि श्रीराम और कोई नहीं, बल्कि अनंत कोटि ब्रह्मांड के नायक परात्पर ब्रह्म हैं जो सृष्टि के सृजन, पालन व संहार के हेतु हैं. सती मोह प्रसंग का भावपूर्ण वर्णन करते हुए जगदगुरु ने कहा कि सती को वन लीला देखकर मोह गया. लिहाजा वे उनकी परीक्षा को पहुंची तो उन्हें ज्ञान हो गया कि श्रीराम ही ईश्वर हैं. कथा को विस्तार देते हुए महाराज श्री ने कहा कि परीक्षा के लिए सती ने सीता का वेष धारण कर लिया था, सो भगवान शिव ने उनका त्याग कर दिया. इस क्रम में उन्होंने दक्ष प्रजापति के यज्ञ व सती के याेगाग्नि में भस्मीभूत होने का ऐसा प्रसंग सुनाया कि श्रोता की आंखें नम हो गईं.