
पत्नी को पति और पति को पत्नी पर भरोसा न होना कलिकाल का है प्रभाव- पुंडरीक शास्त्री जी
बीआरएन बक्सर। नगर के नई बाज़ार स्थित श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम में श्री श्रीमन् नारायण भक्तमाली मामा जी की पुण्य स्मृति में आयोजित सोलहंवा प्रिया प्रियतम महोत्सव के दूसरे दिन कथा का पाठ किया गया। कथा के प्रारंभ में आश्रम के महंत पूज्य राजा राम जी महाराज ने व्यास पीठ का पूजन किया। भारतभूषण श्री पुंडरीक शास्त्री जी ने श्रीमद् भागवत कथा के क्रम में दूसरे दिन कथाक्रम को आगे बढ़ाते हुए श्रीमद भागवत जी के महात्म्य का वर्णन करते हुए कहा कि जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है कि यह कब तक है और कब तक रहेगी इसलिए व्यक्ति को सदैव ईश्वर पर विश्वास रखते हुए सदैव सत्कर्म ही करना चहिए पुत्र के नामकरण करते समय यह अवश्य ध्यान रखना चहिए कि किसी शत्रु के नाम पर अपने संतानों का नामकरण नहीं करना चहिए और नामकरण में यह भी ध्यान रखना चहिए कि संतान का नाम अपने तीन पीढ़ियों के नाम के आधार पर ही रखना चाहिए, पाश्चात्य संस्कृति पर आधारित नाम अपने संतानो का नहीं रखना चहिए। पूरी सृष्टि में सुख किसी को प्राप्त नहीं हुआ है । न देवराज इंद्र को और न ही किसी नृप को । संसार में सुख केवल ब्रह्मर्षि को ही प्राप्त है, उन्होंने ने कहा कि आज समय ऐसा आ गया है पति को पत्नी पर भरोसा नहीं है और पत्नी को पति पर भरोसा नही है , पुत्र को अपने पिता पर भरोसा नही है और पिता को अपने पुत्र पर भी भरोसा नहीं है , कालिकाल का समय ऐसा आ गया है कि सारे संबंध स्वार्थ पर ही आधारित हो गए है, एक दूसरे के प्रति सहयोग और प्रेम, मानवता, ईश्वर भक्ति धीरे धीरे स्वार्थ में बदलते जा रहें है और भागवत कथा में ही इन सभी समस्याओं का निदान हो सकता है अगर हम ध्यान से इसका श्रवण और पाठन करे तो ही इन सभी समस्याओं का निदान संभव है।