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भूमि सर्वे: रामगढ़ में 53% व नुआंव में मात्र 36% आवेदन..

 

खुले पोर्टल का उठाएं लाभ ,कागजात के बिना भी करें ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन

राजीव कुमार पाण्डेय (रामगढ)। रामगढ़ प्रखंड क्षेत्र में रैयतों के द्वारा जमीन के सर्वे में कम दिलचस्पी दिखाई जा रही है। इस वजह से जमीन सर्वे का कार्य काफी धीमी गति से चल रहा है।इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि सरकार द्वारा आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 31 मार्च के बीत जाने के बाद भी रामगढ़ प्रखंड क्षेत्र में मात्र 53% रैयतों ने आवेदन जमा किया है।जबकि इस प्रखंड क्षेत्र के 123 मौजों में कुल जमाबंदी रैयतों की संख्या 47484 है जिसमें से अब तक केवल 25100 आवेदन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में जमा किए गए हैं।नुआंव प्रखंड का हाल तो और बुरा है यहां पर कुल 92 मौजों में कुल जमाबंदी रैयतों की संख्या 39475 है जिसमें से मात्र 14185 आवेदन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मिलाकर जमा किए गए हैं।जो 35.93% होता है।उपरोक्त आशय की जानकारी देते हुए विशेष सर्वेक्षण सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी रामगढ़ सह नुआंव सौरभ सक्सेना ने आम रैयतों से अपील की है कि वे जल्द से जल्द ऑनलाइन या ऑफलाइन बगैर जमीन कागजात के भी आवेदन जमा करें। यदि किसी रैयत के पास कागजात हैं तो वह भी आवेदन के साथ जमा कर सकते हैं, परंतु इसकी कोई बाध्यता नहीं है।जमीन के मालिक के पास अपनी जमीन संबंधित जितनी भी कागजात है उसके साथ वह ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन कर सकता है।बाद में बाकी कागजात भी जमा कर सकता है।इसका मतलब हुआ, आपके पास जमीन के कम कागजात हैं, तो भी आप उतने ही कागजात के साथ ऑनलाइन या प्रखंड कार्यालय पर बने शिविर में जाकर हेल्प डेस्क के जरिए अपना आवेदन जमा कर सकते हैं। बाकी कागजात बाद में जमा किए जा सकते हैं। ये उन लोगों के लिए एक बड़ी राहत है जो किसी कारण से अभी तक अपनी जमीन का सर्वे नहीं करा पाए हैं। अब उनके पास कुछ और समय है। वे इस अवसर का लाभ उठा सकते हैं और अपनी जमीन का सर्वे करा सकते हैं।उन्होंने बताया कि आवेदन करने की नई तिथि की घोषणा नहीं हुई है।अंतिम तिथि 31 मार्च ही है लेकिन पोर्टल कुछ दिन और खुले रहने की संभावना है।जिसका लाभ आवेदन नहीं करने वाले रैयतों को उठाना चाहिए।ज्ञातव्य हो कि भू – सर्वेक्षण का उद्देश्य जमीन की सही पहचान कर उसकी प्रकृति और उपयोग के आधार पर नए फैसले लेना है। इस प्रक्रिया के दौरान जमीन को गैर-मजरुआ आम, गैर-मजरुआ खास, पुश्तैनी या रैयती के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।जिससे जमीन विवादों में कमी आएगी।सभी रिकॉर्ड डिजिटल हो जायेंगे तथा सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन बेहतर तरीके से हो सकेगा।

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