
कन्हैया की बाल लीलाओं ने छू लिया भक्तों का हृदय, नगर में बही भक्ति की सरिता
चरित्रवन स्थित बुढ़वा शिव मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन श्रीकृष्ण बाल लीलाओं का मनमोहक वर्णन
बीआरएन बक्सर । बुढ़वा शिव मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन मामाजी के कृपापात्र आचार्य रणधीर ओझा ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं, कालियामर्दन, गोवर्धन पूजा तथा गोपियों की रासलीला का अत्यंत भावपूर्ण वर्णन किया। आचार्य श्री की रसपूर्ण वाणी से श्रद्धालु भावविभोर हो उठे।
आचार्य श्री ने भगवान श्रीकृष्ण की नटखट बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए बताया कि बाल गोपाल अपने मित्रों संग माखन चुराकर सबका मन मोह लेते थे। उनके भोलेपन और शरारतों से यशोदा मैया के साथ-साथ पूरे गांव के लोग भी उनसे परेशान रहते थे। कथा के क्रम में आचार्य श्री ने कालिया नाग दमन की कथा सुनाते हुए कहा कि श्रीकृष्ण ने बाल अवस्था में ही अपने पराक्रम से यमुना में विष फैलाने वाले कालिया नाग का संहार कर ब्रजवासियों को भयमुक्त किया। इसके बाद उन्होंने गोवर्धन पूजा प्रसंग सुनाते हुए बताया कि भगवान कृष्ण ने इंद्र की पूजा का विरोध कर ब्रजवासियों से गोवर्धन महाराज की पूजा करने को कहा। इंद्र के क्रोधित होने पर मूसलाधार वर्षा होने लगी, तब श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की। आचार्य श्री ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा वैराग्य, ज्ञान और ईश्वर से मिलने का मार्ग दिखाती है। कलयुग में हरि नाम ही कल्याण का साधन है। सच्चे मन से हरि नाम का स्मरण करने मात्र से मनुष्य के जीवन का उद्धार संभव है। गोपियों के प्रेम का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ज्ञान योग से प्रेम योग अधिक सरल और सुखद है। जिस भगवान कृष्ण को बड़े-बड़े ज्ञानी और तपस्वी नहीं पा सके, उन्हें गोपियों ने अपने निष्काम प्रेम से पा लिया। उन्होंने कहा कि मनुष्य को लोभ, मोह और लालच से दूर रहकर परमार्थ और पुण्य कर्मों में लगना चाहिए। ऐसे पुण्य कर्म समाज में आनंद और परिवर्तन का संचार करते हैं। कथा के दौरान मंदिर परिसर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। भजन, कीर्तन और जयघोषों से वातावरण भक्तिमय बन गया।













