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मनुष्य को कौन कहे राम की कृपालुता ने पशु- पक्षियों को भी दी है मित्र का सम्मान – रणधीर ओझा 

बीआरएन बक्सर।  नगर के नया बाजार स्थित श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम में महंत राजाराम शरण दास जी महाराज के मंगलानुशासन आयोजित नव दिवसीय राम कथा 4 बजे से सायं 7 बजे तक चल रही है । कथा के छठे दिन आचार्य रणधीर ओझा ने जय और विजय के चरित्र पर व्याख्यान करते हुए बताया कि भगवान के दो पार्षद जय और विजय श्री विष्णु जी के द्वारपाल थे । सनकादि ऋषि बैकुंठ में भगवान के दर्शनाथ गये , जिसे द्वारपालों ने रोक दिया द्वारपालों के मन में था की मेरा भी स्वरूप वस्त्र आभूषण भगवान जैसा ही है लेकिन सभी लोग हमारा अवेहलना करते हैं कोई हमें महत्व नहीं देता है। कहने का तात्पर्य यह कि क्या भगवान का सानिध्य मिलने पर भी अहंकार का समापन नहीं हुआ। कारण कि कई बार उच्चे पद पर जाने के बाद भी अहंकार की वृद्धि हो जाती है। संतो के साथ संघर्ष हुआ जय, विजय ने सोचा होगा कि हम प्रभु के द्वार पर है हमें क्या होगा ? परंतु अहंकारी मानव कितना ही उच्च स्थान प्राप्त कर ले वहीं उससे नीचे गिरना पड़ता है और उन्हें नीचे गिरना पड़ा। संतों ने दोनों को राक्षस बनकर पृथ्वी पर जाने का श्राप दिया। भगवान ने बाहर आकर द्वारपालों को रोते हुए देखा। प्रभु विष्णु भगवान ने द्वारपालों को आश्वासन दिया कि तुम लोगों को तीन जन्म लेना होगा और तुम लोगों के कल्याण के लिए में चार अवतार लूंगा ।

परमात्मा अपने भक्तों के और संबंधों के रक्षार्थ किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं। भगवान राम की कृपालुता और दयालुता का दर्शन मानस में पग पग पर होता है । आचार्य श्री ने कहा कि मनुष्य की कौन बात करें श्री राम की कृपालुता ने पशु और पक्षियों को भी मित्र का सम्मान प्रदान किया हैं। ऐसा संसार में कौन होगा जो पतित पाषाणी अहिल्या का उद्धार किया हो ? केवट की मित्रता का गौरव प्रदान किया हो और गिद्ध को पिता से भी अधिक सम्मान दे कर पिंडदान का अधिकारी बनाया हो । आचार्य श्री ने कहा कि तुलसी को श्री राम के इसी गुण ने अपना दास बनाया । श्री राम चरित्रमानस के राम ज्ञानियों के परम ब्रह्म परमात्मा है। भक्तों के सगुण साकार ईश्वर है। कर्म मार्ग के अनुगामियों के लिये महान मार्गदर्शक हैं और दीनो के लिए दीनबंधु है ,लेकिन यह तब संभव होता है जब जीव अहंकार का परित्याग कर भगवान से अपना संबंध स्थापित करता है। मानस में सारे समाज के व्यक्तियों को आमंत्रण देते हुए कहा गया है की श्री राम के चरित्र से सभी अपनी अभीष्ट की प्राप्ति कर सकते है।

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