पशुपालकों की दहशत की साए में कट रही रातें…
रोहिणी नक्षत्र बीतने को नहरों में पानी नहीं,किसान चिंतित

किसान संघर्ष मोर्चा ने मामले को लेकर डीएम को सौंपा ज्ञापन
राजीव कुमार पाण्डेय (भभुआ)। किसानों के पास खेती के बाद आय का दूसरा सबसे बड़ा साधन पशु हैं। इसलिए इन्हें पशुधन कहा गया है। मगर, अब किसानों का ये धन चोरी होने लगा है। सही मायने में तो पशुधन पर डाका है।इधर रोहिणी नक्षत्र बीतने को है और नहरों में धूल उड़ रहा है।दो तरफा मार से किसान चिंतित और परेशान हैं।समस्या का निदान हेतु एक अधिकारी के बाद दूसरे अधिकारी का दरवाजा खटखटा रहे हैं।इसी कड़ी में किसान संघर्ष मोर्चा का एक प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को डीएम सावन कुमार से मिला।साथ ही ज्ञापन सौंप कर समस्याओं से अवगत कराया। डीएम ने शालीनता पूर्वक किसान प्रतिनिधियों की बात को सुना और तत्काल एक्शन लेते हुए पशु चोरी (तस्करी )की घटनाओं को लगाम लगाने के लिए थानाध्यक्षों को निर्देशित किया।साथ ही जल्द ही नहरों में पानी आने की संभावनाओं को प्रकट किया।मौके पर मौजूद किसान संघर्ष मोर्चा के जिलाध्यक्ष विमलेश पाण्डेय ने बताया कि रामपुर प्रखंड में 4 अप्रैल से ही पशुधन की चोरी की घटनाएं लगातार सामने आ रही है।इस तिथि को दामोदरपुर गांव में पशु चोरी की पहली घटना हुई ।अभी तक इस प्रखंड क्षेत्र के 16 गांवों में दर्जनों दुधारू गाय,भैंस , बकरियां आदि की चोरी हुई है जिसमें मईटाड़, राजा का अकोढ़ी, उफरौली,बनौली आदि गांव शामिल हैं।इस क्षेत्र में पशु तस्करों की सक्रियता की वजह से दिन पर दिन ऐसी घटनाओं में वृद्धि हो रही है।पुलिस प्रशासन घटना को रोकने में विफल साबित हो रही है।पशु चोरी की घटनाओं से गांव वाले दहशत में हैं। रात-रात भर जागकर लोग पशुओं की रखवाली कर रहे हैं।वहीं पूर्व प्रमुख व किसान संघर्ष मोर्चा के महासचिव पशुपति नाथ सिंह ने बताया कि रोहिणी नक्षत्र बीतने को है। नहरों में पानी नहीं आया है। जबकि सोन उच्च स्तरीय नहर जल संसाधन विभाग कैमूर के कार्यपालक अभियंता द्वारा तीन दिनों के भीतर पानी आने की बात कही गई थी किंतु पानी नहीं आया।जिले के अधिकतर किसान इसी नक्षत्र में बिचड़ा डालने का कार्य करते हैं अगर समय से नहरों में पानी नहीं आया तो उत्पादन पर असर पड़ेगा साथ ही पेयजल का भीषण संकट खड़ा हो गया है। कई गांवों के चापाकल जवाब दे चुके हैं।इस दौरान प्रतिनिधि मंडल में किसान संघर्ष मोर्चा के जिलाध्यक्ष विमलेश पाण्डेय,महासचिव पशुपति नाथ सिंह,सचिव अनिल सिंह,टुनटुन सिंह, श्याम नारायण सिंह ,सोनू सिंह ,राजू सिंह,अवधेश सिंह आदि किसान शामिल थे।