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रामगढ़ के चर्चित नेता अजीत सिंह ने थामा राजद का दामन,कार्यकर्ताओं में उत्साह ….

जदयू के राज्य महासचिव व संगठनात्मक पदों से लोकसभा चुनाव से पूर्व दे दिया था त्याग पत्र

 

अजीत बक्सर सांसद सुधाकर सिंह के सबसे छोटे भाई व राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के हैं पुत्र

राजीव कुमार पाण्डेय (रामगढ़)।   बक्सर लोकसभा क्षेत्र के चर्चित नेता व जनता के बीच जमीनी नेता की छवि बना चुके अजीत कुमार सिंह ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद के जन्मोत्सव पर पार्टी की सदस्यता धारण कर उन्हें एक नायाब तोहफा दिया है।अजीत सिंह के इस निर्णय से उनके समर्थकों में खासा उत्साह है।समर्थक अपने चहेते नेता को बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित कर रहे हैं।46 वर्षीय इंजीनियर श्री सिंह राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के सबसे छोटे पुत्र व बक्सर सांसद सुधाकर सिंह के भाई हैं।इन्होंने 12अप्रैल 2022 को परिवार से अलग राह अपनाते हुए अपनी निजी सोच,जनता हित एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से प्रभावित होकर जदयू की सदस्यता धारण की थी।किंतु बीते लोकसभा चुनाव से पूर्व राज्य हित, पार्टी में अराजकता,जमीनी स्तर कार्यकर्ताओं में भ्रम व उनकी उपेक्षा को लेकर जदयू से त्यागपत्र दे दिया था।इस दौरान श्री सिंह ने जदयू के राज्य महासचिव व बक्सर तथा सासाराम लोकसभा संगठन प्रभारी के पदों पर ईमानदारी से अपनी दायित्वों का निर्वाह किया और पार्टी की मजबूती के लिए दिन रात एक कर दी थी।

जानते हैं राजद की सदस्यता धारण करने के बाद क्या कहते हैं अजीत सिंह

राजद की सदस्यता धारण करने के बाद मंगलवार को श्री सिंह ने मीडिया को बताया कि मैंने आदरणीय लालू प्रसाद जी के जन्मोत्सव पर राष्ट्रीय जनता दल की सदस्यता धारण की है। जैसा की आप सभी को पूर्व से ज्ञात है कि जनता दल यूनाइटेड से इस्तीफा चुनाव पूर्व ही मैंने दे दिया था।मैंने इस्तीफा के वक्त भी कहा था की लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के लिए मैं अपने साथियों के साथ काम करूंगा। उसी क्रम में हम लोगों ने चुनाव के दरम्यान इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी के पक्ष में जोर- शोर से चुनावी प्रचार में हिस्सा लिया।सम्मानित मतदाताओं तथा समर्पित कार्यकर्ता के दम पर शाहाबाद के सभी सीटों पर इंडिया गठबंधन ने विजय प्राप्त किया। इसके अलावा अन्य सीटों से भी इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों ने सम्मानजनक प्रदर्शन किया।चुनाव के बाद नई सरकार के गठन में एक बार पुनः बिहार के हिस्सेदारी के साथ बड़े स्तर पर धोखाधड़ी हुई है। केवल बिहार की हकमारी ही नही हुआ है बल्कि एक अपमानजनक तरीके से मंत्रालय का बंटवारा होना और उसमें बिहार के सम्मानित नेताओं को कद को छोटा दिखाने की कोशिश करना किसी बेइज्जती से कम नही है।एक जमाने में जब कांग्रेस नेतृत्व में यूपीए सरकार हुआ करती थी तब बिहार के हित के प्रश्न पर बिहार के तमाम नेताओं को उनके कद और योग्यता के हिसाब से देश के महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेदारी दिया जाता था।बिहार के जिन नेताओं ने मंत्रालयों को संभाला उन्होंने अपने-अपने विभाग में देश के लिए बड़ा योगदान निभाया।आज पूरे देश के संसाधनों पर कुछ गुजरात के लोगों के द्वारा कब्जा कर लिया गया है। जिसके चलते एक तरफ अमीरी और गरीबी की खाई बढ़ती जा रही है तो दूसरी तरफ बेरोजगारी और भुखमरी इस देश में तेजी से विकराल स्थिति की तरफ बढ़ रही है।ऐसे में जदयू और अन्य पार्टियां जो बीजेपी के साथ बिहार में गठबंधन में है उनके द्वारा भाजपा और संघ के सामने संपूर्ण रूप से समर्पण कर दिया गया है।बिहार के हितों को तो बिल्कुल ही कुर्बान कर दिया गया है।

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