30 साल बाद डकैती के मामले में नौ अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा
10-10 हजार का जुर्माना, एडीजे 4 विजेंद्र कुमार ने सुनाया फैसला बक्सर कोर्ट का
बीआरएन ,बक्सर।
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश चतुर्थ विजेंद्र कुमार की अदालत ने डकैती के मामले में संलिप्त नौ अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। हालांकि यह फैसला 30 साल बाद आया है। न्यायालय ने प्रत्येक अभियुक्त पर 10 –10 हज़ार का अर्थ दंड भी लगाया है. जिसे नहीं देने पर अतिरिक्त छह माह जेल में बिताने होंगे।
घटना 17 –18 अगस्त 1993 की रात की है, जहां सिमरी थाना के तिलक राय के हाता में बुदन यादव के घर नौ की संख्या में अभियुक्त घुस गए तथा जमकर तांडव मचाया था, अभियुक्तों ने डकैती का विरोध करने पर परिवार के दो सदस्यों रामजन्म यादव एवं सरल यादव को गोली मारकर जख्मी भी कर दिया था। उक्त मामले की प्राथमिक सिमरी थाना में दर्ज कराई गई थी. अभियोजन पक्ष की ओर से न्यायालय में कुल 11 गवाहों की गवाही को प्रस्तुत किया गया जहां उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर उसी गांव के रहने वाला वाले लालू अहीर, बिहारी अहीर, मंगल अहीर, बागेसर अहीर, शिवसागर अहीर, विजय यादव, गंगासागर, बड़क यादव एवं रघुवर यादव को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, सभी अभियुक्तों पर 10-10 हजार रुपए का अर्थ दंड भी लगाया गया है जिसे नहीं देने पर 6 माह अतिरिक्त जेल में बिताने होंगे।
22 दिसंबर को पाए गए थे दोषी, 30 वर्ष बाद आया फैसला
अगस्त 1993 में हुई डकैती की उक्त घटना को लेकर विगत 22 दिसंबर को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश चतुर्थ विजेंद्र कुमार की अदालत ने घटना में संलिप्त सभी 9 अभियुक्तों को दोषी करार दिया था। फैसले के दिन तक सभी अभियुक्त जमानत पर चल रहे थे लेकिन फैसला सुनाए जाने के साथ ही सभी को कस्टडी में लेकर जेल भेज दिया गया। न्यायालय ने सजा के बिंदु पर फैसला सुरक्षित रखा तथा 5 जनवरी को तिथि मुकर्रर की। भीषण डकैती के इस घटना का फैसला आने में लगभग 30 वर्ष लग गए। ज्यादा अभियुक्तों के होने एवं अभियोजन एवम बचाव पक्ष के द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया के चलते मामले के निष्पादन में तीन दशक लग गए। इस बीच अभिलेख न्यायालय दर न्यायालय घूमता रहा। लगभग तीन माह पूर्व उक्त मामले की सुनवाई एडीजे 4 के न्यायालय में एक बार फिर शुरू की गई जहां त्वरित गति से मामले को निष्पादित करते हुए उक्त फैसले को सुनाया गया। अभियुक्तों में दो अभियुक्त की उम्र लगभग 75–80 वर्ष की बताई गई जबकि अन्य अभियुक्त 50–55 वर्ष के दिख रहे थे।
क्या कहते हैं अपरलोक अभियोजक
अपर लोक अभियोजक विनोद कुमार सिंह ने बताया कि अभिलेख कई न्यायालयों में बरसों वर्ष तक घूमता रहा तथा लगभग दो-तीन महापूर्व एडीजे 4 के न्यायालय में प्रस्तुत किया गया जहां उक्त फैसला सुनाया गया है ,उन्होंने बताया कि अभियुक्तों के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 395 के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था जहां प्रावधान है कि जो कोई भी डकैती करेगा उसे आजीवन कारावास या किसी एक अवधि के लिए कठिन करवास जिसे 10 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है के साथ दंडित किया जाएगा ,साथ ही अर्थ दंड के लिए भी उत्तरदाई होगा .न्यायालय ने सभी अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई तथा 10-10 हजार रुपए का अर्थ दंड भी लगाया है जिसे नहीं देने पर 6 माह अतिरिक्त जेल में बिताने होंगे।